Stotram

Sri Venkateswara Stotram | श्री वेंकटेश्वर स्तोत्रम् | श्री वेङ्कटेश स्तोत्र

Sri Venkateswara Stotram

Kamalakucha Chuchuka Kukumatho
Niyatha Runitha Thulanilathano ।
Kamalayatha Lochana lokapathe
Vijayebava Venkata Shilapathe ॥ 1 ॥

Sachaturmuka Shanmuka Panchamuka
Pramukakila Divatha Moulimane ।
Sharanagatha Vatsala Saranide
Paripalayamam Vrusha Shilapathe ॥ 2 ॥

Athivelathaya Thava Druvishahi
Ranuvelakruthir Aparadha Shathi ।
Bharitham Tvaritham Vrusha Shilapathe
Paraya Krupayaa Paripahi Hare ॥ 3 ॥

Aadivenkata Shila Mudaramathe
Janathabi Mathadikada naratat ।
Paradevataya Gaditha Nimagnami
Kamala daeithanna Paramkalaye ॥ 4 ॥

Kalavenu Ravavasha Gopavadhu
Shathakoti vrutha tsmarakoti Samat ।
Prathivalla vikabhimata Tsukadat
Vasudevasutha Naparam kalaye ॥ 5 ॥

Abhi Ramagunakara Dasharathe
Jagadeka Dhanudhara Dhiramathe ।
Raghu nayaka Rama Ramesha Vibho
Varado Bhava Deva Dayajalade ॥ 6 ॥

Aavanithanaya Kamaniya karam
Rajani Karacharu Mukamburuham ।
Rajani Chararaja Thamomihiram
Mahaniya Maham Raghurama Maye ॥ 7 ॥

Sumukam Suhrudayam Sulabham Sukadam
Swanujam cha Sukaya Mamogha Sharam ।
Aapahaya Raghudvaha Manyamaham
Na Kathamchana Kanchana Jathu Bhaje ॥ 8 ॥

Vina Venkatesham Na Nathona Natha
Sada Venkatesham Smarami Smarami ।
Hare Venkatesha Praseda Praseda
Priyam Venkatesha Prayacha Prayacha ॥ 9 ॥

Aaham Durutha ste Padambhoja Yugma
Pranamechaya Gatya Sevaam karomi ।
Sakrutsevaya Nityaseva Phalatvam
Prayacha Prayacha Prabho Venkatesha ॥ 10 ॥

Aagnanina Maya Dosha
Nashesha Nihithan Hare ।
Kshmasva tvam Kshmasva tvam
Sheshashila Shikamane ॥ 11 ॥

॥ Iti Sri Venkatesha Stotram ॥

श्री वेंकटेश्वर स्तोत्रम् | श्री वेङ्कटेश स्तोत्र

कमला कुचचूचुक कुङ्कुमतो
नियतारुणितातुलनीलतनो ।
कमलायतलोचन लोकपते
विजयी भव वेङ्कटशैलपते ॥१॥

सचतुर्मुखषण्मुखपञ्चमुख
प्रमुखाखिलदैवतमौलिमणे ।
शरणागतवत्सल सारनिधे
परिपालय मां वृषशैलपते ॥२॥

अतिवेलतया तव दुर्विषहै
रनुवेलकृतैरपराधशतैः ।
भरितं त्वरितं वृषशैलपते
परया कृपया परिपाहि हरे ॥३॥

अधिवेङ्कटशैलमुदारमते
र्जनताभिमताधिकदानरतात् ।
परदेवतयागदितान्निगमैः
कमलादयितान्न परं कलये ॥४॥

कलवेणुरवावशगोपवधू
शतकोटियुतात्स्मरकोटिसमात् ।
प्रतिवल्लविकाभिमतात्सुखदात्
वसुदेवसुतान्न परं कलये ॥५॥

अभिरामगुणाकर दाशरथे
जगदेकधनुर्धर धीरमते ।
रघुनायक राम रमेश विभो
वरदो भव देव दयाजलधे ॥६॥

अवनीतनया कमनीयकरं
रजनीकरचारुमुखांबुरुहम् ।
रजनीचरराजतमोमिहिरं
महनीयमहं रघुराममये ॥७॥

सुमुखं सुहृदं सुलभं सुखदं
स्वनुजं च सुकायममोघशरम् ।
अपहाय रघूद्वहमन्यमहं
न कथञ्चन कञ्चन जातु भजे ॥८॥

विना वेङ्कटेशं न नाथो न नाथः
सदा वेङ्कटेशं स्मरामि स्मरामि ।
हरे वेङ्कटेश प्रसीद प्रसीद
प्रियं वेङ्कटेश प्रयच्छ प्रयच्छ ॥९॥

अहं दूरतस्ते पदांभोजयुग्म-
प्रणामेच्छयाऽऽगत्य सेवां करोमि ।
सकृत्सेवया नित्यसेवाफलं त्वं
प्रयच्छ प्रयच्छ प्रभो वेङ्कटेश ॥१०॥

अज्ञानिना मया दोषानशेषान्विहितान् हरे ।
क्षमस्व त्वं क्षमस्व त्वं शेषशैलशिखामणे ॥११॥

॥ इति श्री वेङ्कटेश स्तोत्र ॥

Credit the Video : ISKCON Bangalore YouTube Channel

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