जय गणेश पाहिमाम | श्री गणेश रक्षा स्त्रोतम | Shree Ganesh Raksha Stotram
Credit the Video : Spiritual Activity YouTube Channel
जय गणेश पाहिमाम | श्री गणेश रक्षा स्त्रोतम | Shree Ganesh Raksha Stotram: श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित इस पांच श्लोक में महागणपति की महिमा, गुणों, महत्व और एक फलस्तुति का वर्णन हैं। इसको (पंचरत्नम-पांच रत्न) (Pancharatnam-Five Jewels) कहा जाता है। इस पञ्चरत्नं का पहले श्लोक में गणेश को नमस्कार और उनकी शक्ति, सौंदर्य और विजय का वर्णन है। दूसरे श्लोक में उनकी आदिदैविकता, सद्गुण, मुदित मन, बुद्धि और विवेक का वर्णन है। तृतीय श्लोक में गणेश की ब्रह्मरूप, जिससे जगत की सृष्टि हुई है, और उनकी आध्यात्मिक अवस्था का वर्णन है। चतुर्थ श्लोक में विनतीपूर्वक और समर्पण की भावना से गणेश से प्रार्थना की वर्णन है। पांचवां श्लोक में गणेश की स्तुति और उनकी आराधना से वे सदैव हमारे साथ रहें और हमें संसारिक और आध्यात्मिक सभी विघ्नों से मुक्त करें।
जो भक्त सच्चे मन और पूरी निष्ठा भाव से श्री गणेश रक्षा स्तोत्रम का पाठ करता है इसका सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं। इस (Shree Ganesh Raksha Stotram) श्री गणेश रक्षा स्त्रोतम को नियमित रूप से पाठ करने से गणपति भगवान के कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायता करता है। इस श्लोक पाठ से मनोकामनाओं की पूर्ति और आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। यह श्लोक विघ्न नाशक और भय से मुक्ति प्रदान करता है। यह श्लोक भगवान के प्रति भक्ति के साथ श्रद्धा और समर्पण की भावना को बढ़ाता है। इस श्लोक पाठ करने से भक्त को गणेश भगवान की कृपा, आशीर्वाद और सभी विघ्नों से मुक्ति मिलती है।
Shree Ganesh Raksha Stotram
जय गणेश पाहिमाम
श्री गणेश रक्षा स्त्रोतम
जय गणेश पाहिमाम,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश पाहिमाम,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश रक्षमाम ॥
मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं,
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् ।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं,
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥ १ ॥
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं,
नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् ।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं,
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥ २ ॥
समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं,
दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं,
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥ ३ ॥
अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनं,
पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणम्,
कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥ ४ ॥
नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजं,
अचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम् ।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां,
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥ ५ ॥
महागणेशपञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं,
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां,
समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ॥ ६ ॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश पाहीमाम,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश रक्षमाम ॥
Disclaimer : Chhap Design / छाप डिज़ाइन (https://chhapdesign.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि Chhap Design / छाप डिज़ाइन (https://chhapdesign.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। मंत्र के उच्चारण, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। मंत्र का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है।
कुछ और महत्वपूर्ण लेख:
Green Tara Mantra
Black Tara Mantra
White Tara Mantra
Yellow Tara Mantra
Blue Tara Mantra