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50+CUET Hindi Mock Test 2 |CUET Hindi 50 Question Paper PDF

CUET Hindi Mock Test 2 Hindi 50 Question Paper PDF

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CUET Hindi (UG) 2023 Free Mock Test free

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चौड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।

Q.1

उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है-

[1] साहित्य की दीवार

[2] जीवन साहित्य

✔[3] साहित्य का आधार: जीवन

[4] जीवन

Solution

साहित्य का आधार: जीवन

CUET Hindi Full Test 2

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चौड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।

Q.2

साहित्य और जीवन में गहरा संबंध है क्योंकि-

[1] जीवन का मुख्य आधार साहित्य है

[2] साहित्य जीवन की मजबूत दीवार है

✔[3] साहित्य का आधार जीवन है

[4] साहित्य का आनंद जीवन से ऊँचा है

Solution

साहित्य का आधार जीवन है

CUET Mock Test in Hindi PDF

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चौड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।

Q.3

मनुष्य किसकी खोज में जीवन भर लगा रहता है-

[1] परमात्मा की

✔[2] आनंद की

[3] साहित्य की

[4] रत्न, द्रव्य, भरे पूरे परिवार, लंबे चौड़े भवन एवं ऐश्वर्य को पाने की

Solution

आनंद की

CUET Mock Test in Hindi 2023

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चौड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।

Q.4

साहित्य के आनंद का आधार है-

✔[1] सुंदर और सत्य को पाना

[2] जीवन

[3] रत्न और ऐश्वर्य पाना

[4] परमात्मा

Solution

सुंदर और सत्य को पाना


CUET Mock Test
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निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चौड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।

Q.5

परिमिति का अर्थ है-

✔[1] सीमित

[2] दबा हुआ

[3] विस्तृत

[4] फँसा हुआ

Solution

सीमित

NTA CUET Mock Test Series 2023 by SuperGrads [Free Mocks]

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चौड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।

Q.6

जीवन किसकी सृष्टि है?

[1] मनुष्य की

[2] आत्मा की

✔[3] परमात्मा की

[4] परिवार की

Solution

परमात्मा की

NTA CUET Mock Test Series 2023 Official [Get Free PDF Online]

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Q.7

मनुष्य को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं-

[1] निर्भीकता, साहस, परिश्रम

[2] परिश्रम, लगन, आत्मविश्वास

[3] साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति, परिश्रम

✔[4] परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति, लगन

Solution

परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति, लगन

CUET Free Mock Test | CUET Preparation – Career Launcher

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Q.8

प्रत्येक समस्या अपने साथ लेकर आती है–

✔[1] संघर्ष

[2] कठिनाइयाँ

[3] चुनौतियाँ

[4] सुखद परिणाम

Solution

संघर्ष

CUET Mock Test 2023 Series Online PDF Free Download

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Q.9

समस्त ग्रंथों और अनुभवों का निष्कर्ष है-

[1] संघर्ष से डरना या विमुख होना अहितकर है।

[2] मानव-धर्म के प्रतिकूल है।

[3] अपने विकास को बाधित करना है।

✔[4] उपर्युक्त सभी

Solution

उपर्युक्त सभी

CUET (UG) entrance exam MCQ Online Mock Tests

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Q.10

‘मानवीय’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है-

[1] मानवी + य

✔[2] मानव + ईय

[3] मानव + नीय

[4] मानव + इय

Solution

मानव + ईय

CUET Mock Test 2023 PDF: Solve Free Subject-wise Practice .

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Q.11

संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़ने के लिए आवश्यक है-

[1] दृढ़ संकल्प, निडरता और धैर्य

✔[2] दृढ़ संकल्प, उत्साह एवं साहस

[3] दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास और साहस

[4] दृढ़ संकल्प, उत्तम चरित्र एवं साहस

Solution

दृढ़ संकल्प, उत्तम चरित्र एवं साहस

CUET Mock Test 2023, Practice Online Test Series FREE

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Q.12

प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में क्या निहित रहती है-

[1] शक्ति

[2] दृढ़ इच्छाशक्ति

[3] लगन

✔[4] विजय

Solution

विजय

CUET Mock Test 2023 – Vedantu

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
विज्ञान आज के मानव-जीवन का अविभाज्य एवं घनिष्ठ अंग बन गया है। मानव-जीवन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के अभूतपूर्व आविष्कारों से अछूता नहीं रहा। इसी से आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है। आज विज्ञान ने पुरूष और नारी, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ, उद्योगपति और कृषक, पूँजीपति और श्रमिक, चिकित्सक और सैनिक, अभियन्ता और शिक्षक तथा धर्मज्ञ और तत्त्वज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों में किसी-न-किसी रूप में अपने अप्रतिम प्रदेय से अनुगृहीत किया है। आज समूचा परिवेश विज्ञानमय हो गया है। विज्ञान के चरण गृहिणी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्राचीरों वाले भवनों और अट्टालिकाओं में ही दृष्टिगत नहीं होते, प्रत्युत वे स्थल और जल की सीमाओं को लाँघकर अंतरिक्ष में भी गतिशील हैं। वस्तुत: विज्ञान अद्यतन मानव की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। इसके बल से मनुष्य प्रकृति और प्राणिजगत् का शिरोमणि बन सका है। विज्ञान के अनुग्रह से वह सभी प्रकार की सुविधाओं और संपदाओं का स्वामित्व प्राप्त कर चुका है। अब वह ऋतु-ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्रांत एवं संत्रस्त नहीं है। विद्युत ने उसे आलोकित किया है, उष्णता और शीतलता दी है, बटन दबाकर किसी भी कार्य को संपन्न करने की ताकत भी दी है। मनोरंजन के विविध साधन उसे सुलभ हैं। यातायात एवं संचार के साधनों के विकास के समय और स्थान की दूरियाँ बहुत कम हो गई हैं और समूचा-विश्व एक परिवार-सा लगने लगा है। कृषि और उद्योग के क्षेत्र में उत्पादन की तीव्र वृद्धि होने के कारण आज दुनिया पहले से अधिक धन-धान्य से संपन्न है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की देन अभिनंदनीय है। विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब अंतरिक्ष लोक में प्रवेश कर चुका है। सर्वोपरि, विज्ञान ने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति से मनुष्य अंधविश्वासों और रूढ़ि-परंपराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से सोच-विचार कर सकता है और यथार्थ एवं सम्यक् जीवन जी सकता है। इससे मनुष्य के मन को युगों के अंधविश्वासों, भ्रमपूर्ण और दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता से मुक्ति मिली है। विज्ञान की यह देन स्तुत्य है। मानव को चाहिए कि वह विज्ञान की इस समग्र देन को रचनात्मक कार्यों में सुनियोजित करें।

Q.13

आज विज्ञान को मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग क्यों माना जा सकता है?

[1] विज्ञान के आविष्कार अभूतपूर्व हैं।

✔[2] विज्ञान ने सभी क्षेत्रों में मानव को प्रभावित किया है।

[3] विज्ञान ने आर्थिक उन्नति प्रदान की है।

[4] आधुनिक युग विज्ञान का युग है।

Solution

विज्ञान ने सभी क्षेत्रों में मानव को प्रभावित किया है।

CUET Mock Test 2023 Online – Adda247

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
विज्ञान आज के मानव-जीवन का अविभाज्य एवं घनिष्ठ अंग बन गया है। मानव-जीवन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के अभूतपूर्व आविष्कारों से अछूता नहीं रहा। इसी से आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है। आज विज्ञान ने पुरूष और नारी, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ, उद्योगपति और कृषक, पूँजीपति और श्रमिक, चिकित्सक और सैनिक, अभियन्ता और शिक्षक तथा धर्मज्ञ और तत्त्वज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों में किसी-न-किसी रूप में अपने अप्रतिम प्रदेय से अनुगृहीत किया है। आज समूचा परिवेश विज्ञानमय हो गया है। विज्ञान के चरण गृहिणी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्राचीरों वाले भवनों और अट्टालिकाओं में ही दृष्टिगत नहीं होते, प्रत्युत वे स्थल और जल की सीमाओं को लाँघकर अंतरिक्ष में भी गतिशील हैं। वस्तुत: विज्ञान अद्यतन मानव की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। इसके बल से मनुष्य प्रकृति और प्राणिजगत् का शिरोमणि बन सका है। विज्ञान के अनुग्रह से वह सभी प्रकार की सुविधाओं और संपदाओं का स्वामित्व प्राप्त कर चुका है। अब वह ऋतु-ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्रांत एवं संत्रस्त नहीं है। विद्युत ने उसे आलोकित किया है, उष्णता और शीतलता दी है, बटन दबाकर किसी भी कार्य को संपन्न करने की ताकत भी दी है। मनोरंजन के विविध साधन उसे सुलभ हैं। यातायात एवं संचार के साधनों के विकास के समय और स्थान की दूरियाँ बहुत कम हो गई हैं और समूचा-विश्व एक परिवार-सा लगने लगा है। कृषि और उद्योग के क्षेत्र में उत्पादन की तीव्र वृद्धि होने के कारण आज दुनिया पहले से अधिक धन-धान्य से संपन्न है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की देन अभिनंदनीय है। विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब अंतरिक्ष लोक में प्रवेश कर चुका है। सर्वोपरि, विज्ञान ने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति से मनुष्य अंधविश्वासों और रूढ़ि-परंपराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से सोच-विचार कर सकता है और यथार्थ एवं सम्यक् जीवन जी सकता है। इससे मनुष्य के मन को युगों के अंधविश्वासों, भ्रमपूर्ण और दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता से मुक्ति मिली है। विज्ञान की यह देन स्तुत्य है। मानव को चाहिए कि वह विज्ञान की इस समग्र देन को रचनात्मक कार्यों में सुनियोजित करें।

Q.14

विज्ञान के चरण गतिशील क्यों कहे जा सकते हैं?

[1] विज्ञान की तीव्र गति के कारण

[2] यातायात के साधन आविष्कृत करने के कारण

✔[3] विज्ञान के उत्तरोतर विभिन्न दिशाओं में उन्मुख होने के कारण

[4] प्रगतिशील विचारधारा के कारण

Solution

विज्ञान के उत्तरोतर विभिन्न दिशाओं में उन्मुख होने के कारण

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
विज्ञान आज के मानव-जीवन का अविभाज्य एवं घनिष्ठ अंग बन गया है। मानव-जीवन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के अभूतपूर्व आविष्कारों से अछूता नहीं रहा। इसी से आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है। आज विज्ञान ने पुरूष और नारी, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ, उद्योगपति और कृषक, पूँजीपति और श्रमिक, चिकित्सक और सैनिक, अभियन्ता और शिक्षक तथा धर्मज्ञ और तत्त्वज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों में किसी-न-किसी रूप में अपने अप्रतिम प्रदेय से अनुगृहीत किया है। आज समूचा परिवेश विज्ञानमय हो गया है। विज्ञान के चरण गृहिणी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्राचीरों वाले भवनों और अट्टालिकाओं में ही दृष्टिगत नहीं होते, प्रत्युत वे स्थल और जल की सीमाओं को लाँघकर अंतरिक्ष में भी गतिशील हैं। वस्तुत: विज्ञान अद्यतन मानव की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। इसके बल से मनुष्य प्रकृति और प्राणिजगत् का शिरोमणि बन सका है। विज्ञान के अनुग्रह से वह सभी प्रकार की सुविधाओं और संपदाओं का स्वामित्व प्राप्त कर चुका है। अब वह ऋतु-ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्रांत एवं संत्रस्त नहीं है। विद्युत ने उसे आलोकित किया है, उष्णता और शीतलता दी है, बटन दबाकर किसी भी कार्य को संपन्न करने की ताकत भी दी है। मनोरंजन के विविध साधन उसे सुलभ हैं। यातायात एवं संचार के साधनों के विकास के समय और स्थान की दूरियाँ बहुत कम हो गई हैं और समूचा-विश्व एक परिवार-सा लगने लगा है। कृषि और उद्योग के क्षेत्र में उत्पादन की तीव्र वृद्धि होने के कारण आज दुनिया पहले से अधिक धन-धान्य से संपन्न है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की देन अभिनंदनीय है। विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब अंतरिक्ष लोक में प्रवेश कर चुका है। सर्वोपरि, विज्ञान ने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति से मनुष्य अंधविश्वासों और रूढ़ि-परंपराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से सोच-विचार कर सकता है और यथार्थ एवं सम्यक् जीवन जी सकता है। इससे मनुष्य के मन को युगों के अंधविश्वासों, भ्रमपूर्ण और दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता से मुक्ति मिली है। विज्ञान की यह देन स्तुत्य है। मानव को चाहिए कि वह विज्ञान की इस समग्र देन को रचनात्मक कार्यों में सुनियोजित करें।

Q.15

विज्ञान के सहयोग से मनुष्य ने कहाँ प्रवेश कर लिया है?

[1] मनुष्य के हृदय में

✔[2] अंतरिक्ष में

[3] विदेशों में

[4] समुद्र में

Solution

अंतरिक्ष में

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
विज्ञान आज के मानव-जीवन का अविभाज्य एवं घनिष्ठ अंग बन गया है। मानव-जीवन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के अभूतपूर्व आविष्कारों से अछूता नहीं रहा। इसी से आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है। आज विज्ञान ने पुरूष और नारी, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ, उद्योगपति और कृषक, पूँजीपति और श्रमिक, चिकित्सक और सैनिक, अभियन्ता और शिक्षक तथा धर्मज्ञ और तत्त्वज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों में किसी-न-किसी रूप में अपने अप्रतिम प्रदेय से अनुगृहीत किया है। आज समूचा परिवेश विज्ञानमय हो गया है। विज्ञान के चरण गृहिणी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्राचीरों वाले भवनों और अट्टालिकाओं में ही दृष्टिगत नहीं होते, प्रत्युत वे स्थल और जल की सीमाओं को लाँघकर अंतरिक्ष में भी गतिशील हैं। वस्तुत: विज्ञान अद्यतन मानव की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। इसके बल से मनुष्य प्रकृति और प्राणिजगत् का शिरोमणि बन सका है। विज्ञान के अनुग्रह से वह सभी प्रकार की सुविधाओं और संपदाओं का स्वामित्व प्राप्त कर चुका है। अब वह ऋतु-ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्रांत एवं संत्रस्त नहीं है। विद्युत ने उसे आलोकित किया है, उष्णता और शीतलता दी है, बटन दबाकर किसी भी कार्य को संपन्न करने की ताकत भी दी है। मनोरंजन के विविध साधन उसे सुलभ हैं। यातायात एवं संचार के साधनों के विकास के समय और स्थान की दूरियाँ बहुत कम हो गई हैं और समूचा-विश्व एक परिवार-सा लगने लगा है। कृषि और उद्योग के क्षेत्र में उत्पादन की तीव्र वृद्धि होने के कारण आज दुनिया पहले से अधिक धन-धान्य से संपन्न है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की देन अभिनंदनीय है। विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब अंतरिक्ष लोक में प्रवेश कर चुका है। सर्वोपरि, विज्ञान ने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति से मनुष्य अंधविश्वासों और रूढ़ि-परंपराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से सोच-विचार कर सकता है और यथार्थ एवं सम्यक् जीवन जी सकता है। इससे मनुष्य के मन को युगों के अंधविश्वासों, भ्रमपूर्ण और दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता से मुक्ति मिली है। विज्ञान की यह देन स्तुत्य है। मानव को चाहिए कि वह विज्ञान की इस समग्र देन को रचनात्मक कार्यों में सुनियोजित करें।

Q.16

वैज्ञानिक चिंतन पद्धति के प्रभाव से व्यक्ति कैसा जीवन जी सकता है?

[1] यथार्थ

[2] सम्यक्

✔[3] (1) और (2) दोनों

[4] बनावटी

Solution

(1) और (2) दोनों

CUET Free Mock Test Hindi

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
विज्ञान आज के मानव-जीवन का अविभाज्य एवं घनिष्ठ अंग बन गया है। मानव-जीवन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के अभूतपूर्व आविष्कारों से अछूता नहीं रहा। इसी से आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है। आज विज्ञान ने पुरूष और नारी, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ, उद्योगपति और कृषक, पूँजीपति और श्रमिक, चिकित्सक और सैनिक, अभियन्ता और शिक्षक तथा धर्मज्ञ और तत्त्वज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों में किसी-न-किसी रूप में अपने अप्रतिम प्रदेय से अनुगृहीत किया है। आज समूचा परिवेश विज्ञानमय हो गया है। विज्ञान के चरण गृहिणी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्राचीरों वाले भवनों और अट्टालिकाओं में ही दृष्टिगत नहीं होते, प्रत्युत वे स्थल और जल की सीमाओं को लाँघकर अंतरिक्ष में भी गतिशील हैं। वस्तुत: विज्ञान अद्यतन मानव की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। इसके बल से मनुष्य प्रकृति और प्राणिजगत् का शिरोमणि बन सका है। विज्ञान के अनुग्रह से वह सभी प्रकार की सुविधाओं और संपदाओं का स्वामित्व प्राप्त कर चुका है। अब वह ऋतु-ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्रांत एवं संत्रस्त नहीं है। विद्युत ने उसे आलोकित किया है, उष्णता और शीतलता दी है, बटन दबाकर किसी भी कार्य को संपन्न करने की ताकत भी दी है। मनोरंजन के विविध साधन उसे सुलभ हैं। यातायात एवं संचार के साधनों के विकास के समय और स्थान की दूरियाँ बहुत कम हो गई हैं और समूचा-विश्व एक परिवार-सा लगने लगा है। कृषि और उद्योग के क्षेत्र में उत्पादन की तीव्र वृद्धि होने के कारण आज दुनिया पहले से अधिक धन-धान्य से संपन्न है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की देन अभिनंदनीय है। विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब अंतरिक्ष लोक में प्रवेश कर चुका है। सर्वोपरि, विज्ञान ने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति से मनुष्य अंधविश्वासों और रूढ़ि-परंपराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से सोच-विचार कर सकता है और यथार्थ एवं सम्यक् जीवन जी सकता है। इससे मनुष्य के मन को युगों के अंधविश्वासों, भ्रमपूर्ण और दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता से मुक्ति मिली है। विज्ञान की यह देन स्तुत्य है। मानव को चाहिए कि वह विज्ञान की इस समग्र देन को रचनात्मक कार्यों में सुनियोजित करें।

Q.17

लेखक की दृष्टि में विज्ञान की सबसे बड़ी देन क्या है?

[1] संचार सुविधाएँ

[2] विद्युत का आविष्कार

[3] वैज्ञानिक चिंतन पद्धति

✔[4] चिकित्सा और शिक्षा की सुविधाएँ

Solution

चिकित्सा और शिक्षा की सुविधाएँ

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
विज्ञान आज के मानव-जीवन का अविभाज्य एवं घनिष्ठ अंग बन गया है। मानव-जीवन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के अभूतपूर्व आविष्कारों से अछूता नहीं रहा। इसी से आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है। आज विज्ञान ने पुरूष और नारी, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ, उद्योगपति और कृषक, पूँजीपति और श्रमिक, चिकित्सक और सैनिक, अभियन्ता और शिक्षक तथा धर्मज्ञ और तत्त्वज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों में किसी-न-किसी रूप में अपने अप्रतिम प्रदेय से अनुगृहीत किया है। आज समूचा परिवेश विज्ञानमय हो गया है। विज्ञान के चरण गृहिणी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्राचीरों वाले भवनों और अट्टालिकाओं में ही दृष्टिगत नहीं होते, प्रत्युत वे स्थल और जल की सीमाओं को लाँघकर अंतरिक्ष में भी गतिशील हैं। वस्तुत: विज्ञान अद्यतन मानव की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। इसके बल से मनुष्य प्रकृति और प्राणिजगत् का शिरोमणि बन सका है। विज्ञान के अनुग्रह से वह सभी प्रकार की सुविधाओं और संपदाओं का स्वामित्व प्राप्त कर चुका है। अब वह ऋतु-ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्रांत एवं संत्रस्त नहीं है। विद्युत ने उसे आलोकित किया है, उष्णता और शीतलता दी है, बटन दबाकर किसी भी कार्य को संपन्न करने की ताकत भी दी है। मनोरंजन के विविध साधन उसे सुलभ हैं। यातायात एवं संचार के साधनों के विकास के समय और स्थान की दूरियाँ बहुत कम हो गई हैं और समूचा-विश्व एक परिवार-सा लगने लगा है। कृषि और उद्योग के क्षेत्र में उत्पादन की तीव्र वृद्धि होने के कारण आज दुनिया पहले से अधिक धन-धान्य से संपन्न है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की देन अभिनंदनीय है। विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब अंतरिक्ष लोक में प्रवेश कर चुका है। सर्वोपरि, विज्ञान ने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति से मनुष्य अंधविश्वासों और रूढ़ि-परंपराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से सोच-विचार कर सकता है और यथार्थ एवं सम्यक् जीवन जी सकता है। इससे मनुष्य के मन को युगों के अंधविश्वासों, भ्रमपूर्ण और दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता से मुक्ति मिली है। विज्ञान की यह देन स्तुत्य है। मानव को चाहिए कि वह विज्ञान की इस समग्र देन को रचनात्मक कार्यों में सुनियोजित करें।

Q.18

प्रस्तुत गद्यांश किस विषयवस्तु पर आधारित है?

[1] विज्ञान का मानव जीवन पर प्रभाव

✔[2] वैज्ञानिक चिंतन और मानव

[3] विज्ञान के गतिशील चरण

[4] विज्ञान के आविष्कार

Solution

वैज्ञानिक चिंतन और मानव

Q.19

नीचे दिए शब्दों में से उचित शब्द द्वारा रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
मनुष्य में गुण ………………. होते है।

[1] विकार

[2] लाभ

✔[3] दोष

[4] आदर

Solution

मनुष्य में गुण दोष होते है। ’दोष’ गुण का विलोम होता है।

Q.20

वह अपने विषय का पूर्ण अभिज्ञ है। रेखांकित शब्द का विलोम है-

[1] सर्वज्ञ

[2] अल्पज्ञ

✔[3] अनभिज्ञ

[4] विज्ञ

Solution

‘अभिज्ञ’ का विलोम शब्द ‘अनभिज्ञ’ होगा।

Q.21

सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए-

सूची-I   

सूची-II

A. अद्यतन

I. अज्ञ

B. अंतरंग

II. पुरातन

C. राग

III. द्वेष

D. विज्ञ

IV. बहिरंग

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] A-III, B-IV, C-I, D-II

[2] A-IV, B-III, C-II, D-I

✔[3] A-II, B-IV, C-III, D-I

[4] A-II, B-I, C-III, D-IV

Solution

A-II, B-IV, C-III, D-I

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Q.22

‘जल्दी-जल्दी चलो।’ वाक्य में कौन-सा अव्यय हैं?

[1] विशेषण

[2] सार्वनामिक विशेषण

[3] व्यक्तिवाचक विशेषण

✔[4] क्रिया विशेषण

Solution

‘जल्दी-जल्दी चलो।’ वाक्य में क्रिया विशेषण अव्यय हैं।
क्रिया विशेषण अव्यय – वे अव्यय शब्द जो किसी क्रिया के पूर्व प्रयुक्त होकर क्रिया की विशेषता बताते हैं, क्रिया विशेषण कहलाते हैं। जैसे- धीरे-धीरे बोलो।

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Q.23

रेखांकित पद में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
कमरा बिल्कुल साफ रखना चाहिए।

[1] द्वंद्व समास

✔[2] अव्ययीभाव समास

[3] कर्मधारय समास

[4] तत्पुरुष समास

Solution

अव्ययीभाव समास

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Q.24

सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए-

सूची-I   

सूची-II

A. धनहीन

I. अव्ययीभाव

B. नवरत्न

II. कर्मधारय

C. चंद्रमुखी

III. द्विगु

D. आजीवन

IV. तत्पुरुष

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] A-III, B-IV, C-I, D-II

✔[2] A-IV, B-III, C-II, D-I

[3] A-II, B-IV, C-III, D-I

[4] A-II, B-I, C-III, D-IV

Solution

A-IV, B-III, C-II, D-I

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Q.25

विग्रह के अनुसार समास के भेद का सही विकल्प चुनिए-
मुँह को तोड़ने वाला

[1] द्विगु

[2] बहुव्रीहि

✔[3] तत्पुरुष

[4] कर्मधारय

Solution

तत्पुरुष

Q.26

बहुव्रीहि समास से संबंधित उदाहरण है-
A. 
पीताबंर
B. 
नीलकण्ठ
C. 
रातोरात
D. 
यथाशीघ्र
E. 
तिरंगा

[1] केवल B, C, D

✔[2] केवल A, B, E

[3] केवल C, D, E

[4] केवल A, C, E

Solution

केवल A, B, E

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Q.27

‘अपना उल्लू सीधा करना’ मुहावरे का सही अर्थ है-

[1] कुछ न सूझना

[2] ईर्ष्या और जलन से कुढ़ना

✔[3] स्वार्थ सिद्ध करना

[4] अलग-थलग रहना

Solution

स्वार्थ सिद्ध करना

Q.28

दिए गए वाक्य में रिक्त स्थान में कौन-कौन से मुहावरे उपयुक्त होंगे-
राम अपने घर में……………. है।
I. 
आँख का तारा
II. आँख में घर करना
III. अंधेरे घर का उजाला
IV. अक्ल पर पत्थर पड़ना
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

✔[1] I, III

[2] I, II

[3] III

[4] II, IV

Solution

I, III

CUET Hindi sample questions | Mock Tests – myCBSEguide

Q.29

‘झांसे में आना’ के समान अर्थ वाला मुहावरा निम्नलिखित में से कौन-सा है?

[1] घाट-घाट का पानी पीना

[2] गागर में सागर भरना

[3] खून के आँसू रूलाना

✔[4] गच्चा खाना

Solution

गच्चा खाना

Q.30

सूची-I का सूची -II से मिलान कीजिए-

सूची-I   

सूची-II

A. काम तमाम करना

I. थोड़ी सी मदद

B. खून का प्यास

II. बहुत थक जाना

C. थककर चूर होना

III. जानी दुश्मन होना

D. तिनके का सहारा

IV. नष्ट करना

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] A-III, B-IV, C-I, D-II

✔[2] A-IV, B-III, C-II, D-I

[3] A-II, B-IV, C-III, D-I

[4] A-II, B-I, C-III, D-IV

Solution

A-IV, B-III, C-II, D-I

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Q.31

सही पद-क्रमानुसार नीचे दिए गए विकल्पों को जोड़कर सार्थक वाक्य बनाइए-
I. 
आ सकूँगा
II. पास नहीं
III. आज मुझे बहुत
IV. मैं तुम्हारे
V. काम है इसलिए
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] I, II, III, IV, V

[2] II, IV, V, III, I

✔[3] III, V, IV, II, I

[4] II, IV, V, I, III

Solution

III, V, IV, II, I

Q.32

दिए गए विकल्पों को सही पद-क्रमानुसार एक सार्थक वाक्य बनाइए।
I. 
अच्छे नहीं
II. मैं जानता
III. बनते
IV. हूँ कि
V. तुम्हारे अक्षर
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] I, II, III, IV, V

[2] II, IV, V, III, I

[3] III, V, IV, II, I

✔[4] II, IV, V, I, III

Solution

II, IV, V, I, III

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Q.33

नीचे दिए गए विकल्पों को सही पद-क्रमानुसार एक सार्थक वाक्य बनाइए।
A. 
जो घड़ी
B. 
मेज पर रखी है
C. 
वह मुझे
D. 
पुरस्कार स्वरूप
E. 
मिली है

[1] D, C, E, A, B

✔[2] A, B, C, D, E

[3] C, B, A, E, D

[4] D, E, A, B, C

Solution

A, B, C, D, E

Q.34

नीचे दिए गए सभी विकल्पों को जोड़कर पद-क्रमानुसार एक सार्थक वाक्य बनाइए…………….।
A. 
उत्तीर्ण हो
B. जाओगे
C. परिश्रम
D. यदि
E. करोगे तो
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

✔[1] D, C, E, A, B

[2] A, B, C, D, E

[3] C, B, A, E, D

[4] D, E, A, B, C

Solution

D, C, E, A, B

Q.35

सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए-

सूची-I   

सूची-II

A. विद्या + आलय

I. अन्वय

B. गिरी + ईश

II. विद्यालय

C. सदा + एव

III. सदैव

D. अनु + अय

IV. गिरीश

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] A-III, B-IV, C-I, D-II

[2] A-IV, B-III, C-II, D-I

✔[3] A-II, B-IV, C-III, D-I

[4] A-II, B-I, C-III, D-IV

Solution

A-II, B-IV, C-III, D-I

CUET Mock Test 2023 PDF: Solve Free Subject-wise Practice Test

Q.36

‘परीक्षा’ शब्द का सही सन्धि-विच्छेद होगा-

[1] परी + ईक्षा

[2] परि + ईशा

✔[3] परि + ईक्षा

[4] परी + इक्षा

Solution

परि + ईक्षा = परीक्षा (दीर्घ सन्धि)
दीर्घ सन्धि – अ / आ के बाद समान स्वर अ / आ ही आ जाए तो दीर्घ ‘आ’ हो जाता है और इ / ई के बाद समान स्वर इ / ई आ जाए तो दीर्घ ‘ई’ हो जाता है तथा उ / ऊ के बाद समान स्वर उ / ऊ आ जाए तो दीर्घ ‘ऊ’ हो जाता है। जैसे – अतीत, लघूर्मि आदि।

Q.37

‘यथा + उचित’ सन्धि-विच्छेद का सही सन्धि रूप होगा :-

[1] यथाचित

✔[2] यथोचित

[3] यथाऊचित

[4] यथाचीत

Solution

यथा + उचित = यथोचित (गुण सन्धि)
गुण सन्धि- यदि अ / आ के बाद असमान स्वर ‘ इ / ई ‘ आ जाए तो ‘ए’ हो जाता है यदि अ / आ के बाद असमान स्वर उ / ऊ आ जाए तो ‘ओ’ हो जाता है तथा अ / आ के बाद असमान स्वर ‘ऋ’ आ जाए तो ‘अर्’ हो जाता है। जैसे- महोत्सव, हर्षोल्लास आदि।

Q.38

सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए-

सूची-I   

सूची-II

A. इति + आदि

I. अयादि संधि

B. ने + अन

II. यण संधि

C. मत + एकता

III. वृद्धि संधि

D. नर + इन्द्र

IV. गुण संधि

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] A-III, B-IV, C-I, D-II

[2] A-IV, B-III, C-II, D-I

[3] A-II, B-IV, C-III, D-I

✔[4] A-II, B-I, C-III, D-IV

Solution

A-II, B-I, C-III, D-IV

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Q.39

निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है-
उदित उदयगिरी मंच पर रघुवर बाल पतंग।
विकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भृंग।।

[1] यमक अलंकार

✔[2] रूपक अलंकार

[3] श्लेष अलंकार

[4] अनुप्रास अलंकार

Solution

रूपक अलंकार

Q.40

निम्नलिखित विकल्पों में से ‘अनुप्रास अलंकार’ का उदाहरण छाँटिए-

[1] पायोजी मैं तो राम रतन धन पायो।

[2] विजन डुलाती तो वे विजन डुलाती है

✔[3] कंकन किंकन, नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सन राम हृदय सुनि।

[4] जुगनु से उड़ मेरे प्राण।

Solution

कंकन किंकन, नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सन राम हृदय सुनि।

Q.41

निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प उपर्युक्त पंक्ति के लिए सही अलंकार है।
मधुवन की छाती देखो सुखी इसकी कितनी कलियाँ

[1] अनुप्रास अलंकार

[2] उत्प्रेक्षा अलंकार

[3] यमक अलंकार

✔[4] श्लेष अलंकार

Solution

श्लेष अलंकार

Q.42

सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए-

सूची-I   

सूची-II

A. तरनि तनुजा तट तमाल तरूवर बहु छाए।

I. रूपक अलंकार

B. तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है।

II. अनुप्रास अलंकार

C. मुख मयंक सम मंजु मनोहर

III. उपमा अलंकार

D. मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों

IV. यमक अलंकार

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] A-III, B-IV, C-I, D-II

[2] A-IV, B-III, C-II, D-I

✔[3] A-II, B-IV, C-III, D-I

[4] A-II, B-I, C-III, D-IV

Solution

A-II, B-IV, C-III, D-I

Q.43

निम्नलिखित विकल्पों में से ‘खग’ शब्द का अनेकार्थी शब्द नहीं है :-

✔[1] चमगादड़

[2] चन्द्रमा

[3] बाण

[4] बादल

Solution

‘चमगादड़’ निशाचर शब्द का अनेकार्थी शब्द है। ‘खग’ के अनेकार्थी शब्द – चन्द्रमा, बाण, बादल, सूर्य, ग्रह, पक्षी आदि।

Q.44

निम्नलिखित शब्द के मूल शब्द और उपसर्ग का सही विकल्प चुनिए-
अभ्युदय

[1] अभी + उदय

[2] अधि + ऊदय

[3] आभी + उदय

✔[4] अभि + उदय

Solution

अभि + उदय = अभ्युदय (उपसर्ग – अभि) ‘अभि’ उपसर्ग से बने अन्य शब्द – अभ्यास, अभ्यर्थी आदि।

Q.45

निम्नलिखित में से कौन-से शब्द ‘सम्’ उपसर्ग से नहीं बना/बने हैं-
A. 
सम्मान
B. 
संस्कृत
C. 
समान
D. 
संचय
E. 
समारोह
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] केवल B

[2] केवल B, D

✔[3] केवल C

[4] केवल A, B

Solution

समान = स + मान (उपसर्ग – स) से बना है।

सम् + चय = संचय

Q.46

निम्नलिखित में से कौन-से शब्द प्रत्यय लगाकर नहीं बना/बने हैं-
A. 
तैराक
B. 
तैरना
C. 
तैराका
D. 
तैरनी
E. 
चालाक
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] केवल B

[2] केवल B, D

[3] केवल C

✔[4] केवल A, E

Solution

‘आक’ प्रत्यय से बना शब्द ‘तैराक’ व ‘चालाक’ है। (तैर + आक = तैराक) (चाल + आक = चालाक)
तैराक व चालाक शब्द में कर्तृवाचक कृदंत प्रत्यय है।
कर्तृवाचक कृदंत प्रत्यय– जब किसी क्रिया या मूल धातु के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया जाए और वह कर्त्ता के अर्थ का बोध कराए, कर्तृवाचक कृदंत प्रत्यय कहलाता है।

Q.47

‘ठेले पर हिमालय’ के रचयिता हैं…………….।

[1] प्रेमचन्द

[2] मोहन राकेश

✔[3] धर्मवीर भारती

[4] सुरेन्द्र वर्मा

Solution

धर्मवीर भारती

Q.48

निम्नलिखित में से प्रेमचन्द द्वारा लिखित उपन्यास हैं-
A. 
रीढ की हड्डी
B. 
गबन
C. 
प्रतीक्षा
D. 
निर्मला
E. 
गोदान

[1] A, C, D

[2] C, B, E

✔[3] B, D, E

[4] E, C, A

Solution

B, D, E

Q.49

तुलसीदास द्वारा रचित कौन-सा महाकाव्य हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र महाकाव्य हैं?

[1] विनयपत्रिका

[2] पार्वती मंगल

✔[3] रामचरित मानस

[4] गीतावली

Solution

रामचरित मानस

Q.50

सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए-

सूची-I   

सूची-II

A. सेवासदन

I. हजारी प्रसाद द्विवेदी

B. नदी के द्वीप

II. फणीश्वरनाथ रेणु

C. परती परिकथा

III. अज्ञेय

D. कुटज

IV. प्रेमचन्द

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

[1] A-III, B-IV, C-I, D-II

✔[2] A-IV, B-III, C-II, D-I

[3] A-II, B-IV, C-III, D-I

[4] A-II, B-I, C-III, D-IV

Solution

A-IV, B-III, C-II, D-I

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