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भोजन मन्त्र | Bhojan Mantra | भोजन मंत्र का नियम, नैवेद्यं और महत्व

भोजन मन्त्र | Bhojan Mantra | भोजन मंत्र का नियम, नैवेद्यं और महत्व: दोस्तों नमस्कार, आज हम इस लेख माध्यम से भोजन के नियम, भोजन मंत्र का महत्‍व, भोजन मंत्र इन सभी विषयों को सरल शब्‍दों में आपको समझाने का प्रयास करेंगे, आइए इसे विस्तृत रूप से जानते हैं।

भोजन के नियम:

  • हमारी भारतीय परंपरा और सनातन संस्‍कृति के अनुसार भोजन बनाने वाला स्नान करके, शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए भोजन बनाना चाहिए।
  • सबसे पहले गाय, कुत्ते और कौवे के लिए अलग निकाल कर रखना चाहिए।
  • अन्न ग्रहण करने से पहले हाथ, पैर और मुख को अच्छी तरह से धोकर ही भोजन करना चाहिए।
  • भोजन करते समय पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भोजन करना चाहिए।
  • भोजन करते समय दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है, पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन रोग की वृद्धि होती है।
  • खाते समय मोबाइल और टीवी जैसी चीजों से ध्यान नहीं देना चाहिए।
  • भोजन से ही हमारे शरीर का निर्माण होता है इसलिए हमें हमेशा भोजन का आदर करना चाहिए, हमें भोजन के प्रति सदैव आभारी होना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार भोजन करने से पहले अन्नदेवता, मां अन्नपूर्णा, अपने गुरु या इष्ट देवता और परमेश्वर को स्मरण करके भोजन करना चाहिए।
  • इससे मां अन्नपूर्णा और परमेश्वर प्रसन्न होती हैं और ऐसा करने से भोजन स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है।

भोजन करते समय इस भोजन मंत्र का उच्‍चारण करें:

Credit the Video : Roots Of Pushkar Records YouTube Channel

Bhojan Mantra

Anna Grihana Karne Se Pehle
Vichar Man Me karna Hai ।
Kis Hetu Se Iss Sarir Ka
Rakshan Poshan Karna Hai ॥

Hai Parmeshvara Ek Prarthana
Nitya Tumhare Charno Me ।
Lag Jaye Tan Man Dhan Mera
Vishva Dharma Ki Seva Main ॥

Bhojan Mantra: 01

Brahmaarpanam Brahmahavir Brahmaagnau Brahmanaa Hutam ।
Brahmaiva Tena Gantavyam Brahma Karma Samaadhinaa ॥ 1 ॥

Bhojan Mantra: 02

Om Annapurne Sada Purne Shankr Pranavallabhe ।
Gyan Veragya Shiddhayartham Bhiksham Dehi Cha Parvati ॥ 2 ॥

Bhojan Mantra: 03

Om Saha Nau-Avatu ।
Saha Nau Bhunaktu ।
Saha Viiryam Karavavahai ।
Tejasvina Vadheetamastu ।
Maa Vidvisha Vahai ॥
Om Shanthi Shanthi Shanthi hi ॥ 3 ॥

भोजन मंत्र

अन्न ग्रहण करने से पहले
विचार मन मे करना है ।
किस हेतु से इस शरीर का
रक्षण पोषण करना है ॥

हे परमेश्वर एक प्रार्थना
नित्य तुम्हारे चरणों में ।
लग जाये तन मन धन मेरा
विश्व धर्म की सेवा में ॥

भोजन करने से पहले बोले जाने वाले मंत्र:

प्रथम भोजन मंत्र: यह भोजन मंत्र हिंदू धर्म के यजुर्वेद का एक श्लोक है।

ॐ ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ॥ १ ॥

द्वितीय भोजन मंत्र:भोजन मंत्र: यह भोजन मंत्र गीता के चतुर्थ अध्याय का 24 वां श्लोक है।

ॐ अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राणवल्लभे ।
ज्ञानवैराग्यसिद्यर्थम् भिक्षां देहि च पार्वति ॥ २ ॥

तृतीय भोजन मंत्र: यह भोजन मंत्र कठोपनिषद का एक श्लोक है।

ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्‌विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥ ३ ॥

भगवान को नैवेद्य अर्पण करने का मन्त्र: भोजन करते समय थाली से थोड़ी सी भोजन निकाल कर, थोड़ा सा जल हाथ में लेकर “ओम् अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा” इस मंत्र का जाप करें।

ओम् प्राणाय स्वाहा।
ओम् अपानाय स्वाहा।
ओम् समानाय स्वाहा।
ओम् उदानाय स्वाहा।
ओम् व्यानाय स्वाहा।

नैवेद्यं समर्पयामि

इसके बाद पंच प्राणाहुति करके प्रसन्न मन से अन्न की प्रशंसा करते हुए भोजन ग्रहण करें।

भोजन करने के बाद बोले जाने वाले मंत्र:

अगस्त्यम कुम्भकर्णम च शनिं च बडवानलनम ।
भोजनं परिपाकारथ स्मरेत भीमं च पंचमं ॥ १ ॥

अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः ।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः ॥ २ ॥

भोजन मंत्र का महत्व:

  • भोजन मंत्र का उच्‍चारण करने से भोजन के प्रति सम्‍मान से भर जाते है।
  • भोजन मंत्र का उच्‍चारण करने से आपका मन शांत होता है।
  • भोजन करते समय शांत स्वभाव से भोजन करते हैं तो आपके शरीर में लाभकारक रसायन का निर्माण होता है।
  • भोजन करते समय क्रोध करते है तो आपके शरीर में हानिकारक रसायन का निर्माण होता है।

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